UTTARKASHI:रोजगार देकर होम स्टे विलेज रोक रहा पहाड़ी गवां से पलायन ,युवा हर माह कमा रहे 40-50 हज़ार

UTTARKASHI वर्ष 2015-16 में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत BALAJI SEWA SANSTHAN ने ग्रामीणों को होम स्टे के लिए प्रेरित किया | साथ ही गवां के युवाओं को होम स्टे के लिए प्रशिक्षण दिया गया जो पर्यटक एक बार होम स्टे में ठहरा उसने फिर अपने मित्र -परिचतों को भी यहाँ भेजा ,धीरे-धीरे पर्यटकों के होम स्टे में ठहरने का सिलसिला चल पड़ा |

 

पहाड़ से पलायन रोकने के साथ ही बेरोजगारी दूर करने में होम स्टे योजना बेहद कारगर साबित हो रही है !इश्क एक उदहारण है उत्तरकाशी जिले के ग्राम रैथल निवासी 12 युवा ,जिन्होंने होम स्टे शुरू कर अपने ही घर में सम्मानजनक रोजगार पा लिया है !

आज ये युवा हर माह 40 से 50 हजार रुपये कमा रहे हैं। इनसे प्रेरित होकर गांव के अन्य युवाओं ने भी होम स्टे शुरू किए और धीरे-धीरे रैथल होम स्टे विलेज के रूप में प्रसिद्धि पा रहा है। गांव में अभी 20 से अधिक होम स्टे संचालित हो रहे हैं

 

 

रैथल के पास नटीण, बंद्राणी, द्वारी और भटवाड़ी गांव में भी युवाओं ने होम स्टे बनाए हैं। इसके लिए पर्यटन विभाग ने इन युवाओं को प्रोत्साहित किया। साथ ही इनके होम स्टे पंजीकृत भी किए हैं।

जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 42 किमी दूर स्थित रैथल गांव प्रसिद्ध दयारा बुग्याल का बेस कैंप भी है। इस गांव में 175 परिवार रहते हैं, जिनकी आर्थिकी का मुख्य स्रोत पशुपालन और खेती है। हालांकि, इससे उनका गुजारा नहीं हो पाता होता था।

यही देख वर्ष 2015-16 में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत बालाजी सेवा संस्थान ने ग्रामीणों को होम स्टे के लिए प्रेरित किया। साथ ही गांव के युवा पृथ्वीराज सिंह राणा, सुमित रतूड़ी, अरविंद रतूड़ी, देवेंद्र पंवार, यशवीर राणा, यशवीर प्रताप राणा, सोबत सिंह राणा, अभिमन्यु रावत, मनवीर रावत, जयराज रावत, अनिल रावत व रविंद्र राणा को होम स्टे के बारे में प्रशिक्षण दिया गया।

 

AUTHOR-MANISHA BHANDARI

 

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