तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में चर्बी मिलाने की आशंका: हरिद्वार और केंद्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच जारी

तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू वाले प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाने की सूचना पर हरिद्वार जिले के खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने भगवानपुर क्षेत्र के ग्राम छापपुर शेर अफगानपुर के निकट स्थित घी बनाने वाली फैक्टरी पर छापा मारा। यह कार्रवाई रविवार को हुई, जिसके बाद सोमवार को केंद्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम भी फैक्टरी में जांच करने पहुंची।

हरिद्वार के खाद्य सुरक्षा विभाग ने जब फैक्टरी का दौरा किया, तो उन्हें वहां उत्पादन बंद मिला। टीम ने फैक्टरी प्रबंधन को कागजात दिखाने का निर्देश दिया। अगले दिन, यानी सोमवार को, केंद्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने भोले बाबा ऑर्गेनिक डेयरी मिल्क प्राइवेट लिमिटेड फैक्टरी में जांच की। इस दौरान, फैक्टरी पहले से ही बंद थी, लेकिन केंद्रीय टीम ने पांच घंटे तक मशीनों में लगे घी के सैंपल लिए और अन्य आवश्यक जांच-पड़ताल की। इसके बाद टीम बिना किसी विशेष जानकारी के लौट गई।

इस जांच में कई स्थानीय व्यक्तियों को पूछताछ के लिए भी बुलाया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मामला गंभीर है। सूत्रों के अनुसार, यह मामला तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी से संबंधित है, जिसमें चर्बी की मिली होने की रिपोर्ट आई थी। इसी संदर्भ में, केंद्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग ने सक्रियता दिखाई है और अपनी जांच में स्थानीय टीम की रिपोर्ट को संदिग्ध माना है।

जांच की पृष्ठभूमि: केंद्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम की कार्रवाई, स्थानीय खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा किए गए छापे के एक दिन बाद हुई है। जब स्थानीय टीम ने फैक्टरी का दौरा किया, तो उन्हें यह पता चला कि फैक्टरी में उत्पादन बंद था। इस संबंध में, खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के सचिव आर राजेश कुमार ने बताया कि केंद्रीय टीम अपने स्तर पर जांच कर रही है।

केंद्रीय टीम ने फैक्टरी से घी के नमूने लेने के साथ ही, फैक्टरी से संबंधित कागजात की भी जांच की। सूत्रों का कहना है कि तिरुपति बालाजी मंदिर को कुछ दिन पहले ही घी की आपूर्ति की गई थी। इस आपूर्ति के समय का सटीक विवरण और यह पता करना कि फैक्टरी में घी कब और कितनी मात्रा में तैयार किया गया, जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

फैक्टरी के स्वामी का दावा है कि पिछले एक महीने से उनकी कंपनी में कोई घी नहीं बना है, जबकि स्थानीय जांच के अनुसार, फैक्टरी ने लगभग 20 से 25 दिन पहले घी की आपूर्ति की थी। यह अंतर जांचकर्ताओं के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

केंद्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग का ध्यान: केंद्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने जिस प्रकार से छापे की कार्रवाई की, वह स्थानीय टीम की रिपोर्ट को संदिग्ध मानने का संकेत देती है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी योगेंद्र भंडारी ने बताया कि केंद्रीय टीम के आने की जानकारी उन्हें थी, लेकिन वे हरिद्वार में थे। इससे स्पष्ट होता है कि केंद्रीय टीम अपनी स्वतंत्र जांच कर रही है।

जांच के दौरान, कई स्थानीय व्यक्तियों से पूछताछ की गई और यह सुनिश्चित किया गया कि सभी आवश्यक कागजात उपलब्ध हों। केंद्रीय खाद्य सुरक्षा टीम ने फैक्टरी के कामकाज की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कई सैंपल एकत्र किए हैं।

इस मामले में आगे की कार्रवाई का विवरण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन केंद्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग की सक्रियता इस बात का संकेत है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जा रहा है। यह मामला न केवल धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा है, बल्कि खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के मानकों को बनाए रखने की आवश्यकता को भी उजागर करता है।

जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, उम्मीद है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा अधिक जानकारी और स्पष्टता प्रदान की जाएगी, जिससे लोगों की आशंकाओं का समाधान हो सके।

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