पुरानी पेंशन बहाली के लिए देहरादून में विशाल रैली: हजारों कर्मचारियों ने उठाई आवाज

देहरादून: पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर उत्तराखंड के राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा ने देहरादून के परेड ग्राउंड से सचिवालय तक विशाल महारैली का आयोजन किया। इस रैली में उत्तराखंड के सभी 13 जिलों से हजारों कर्मचारी, अधिकारी और शिक्षक शामिल हुए। रैली के माध्यम से कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर अपनी एकजुटता दिखाई और इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया।

रैली में प्रदेश के विभिन्न संगठनों और परिसंघों का समर्थन मिला, जिससे मोर्चा को व्यापक समर्थन प्राप्त हुआ। अनुमान के अनुसार, इस रैली में लगभग 10 हजार लोग शामिल हुए, जिससे प्रशासन भी चिंतित नजर आया। रैली के दौरान, पुलिस ने सचिवालय के पास बैरीकेडिंग लगाकर भीड़ को रोकने का प्रयास किया। इसके कारण पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का-मुक्की हुई और कुछ पदाधिकारियों के साथ झड़पें भी हुईं। प्रदर्शनकारियों ने बैरीकेडिंग पर चढ़कर “पुरानी पेंशन बहाल करो” के नारे लगाए, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।

रैली में उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन, राजकीय शिक्षक संगठन, उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन और 90 से अधिक संगठनों ने भाग लिया। इस समर्थन के लिए मोर्चा के पदाधिकारियों ने सभी संघों का आभार व्यक्त किया। जब पुलिस ने बैरीकेडिंग के माध्यम से रोका, तो सभी शिक्षक और कर्मचारी वहीं बैठ गए और एक सभा का आयोजन किया। इस सभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी सिंह रावत, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिव सिंह नेगी और अन्य प्रमुख नेताओं ने संबोधित किया।

प्रशासन की ओर से उप जिला अधिकारी वार्ता के लिए आए, लेकिन मोर्चा के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से सीधी वार्ता की मांग रखी। अंततः मुख्यमंत्री के ओएसडी राजेश सेठी ने संगठन के साथ बैठक का आश्वासन दिया, जिसके बाद मोर्चा ने अपनी मांगें सुनी जाने पर सहमति जताई।

इस रैली में अनुसूचित जाति जनजाति प्रांतीय संगठन, राजकीय शिक्षक संघ, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन, और उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन जैसे संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए। महिला कर्मचारियों की भी बड़ी संख्या में उपस्थिति ने रैली को और सशक्त बनाया। महिला प्रदेश अध्यक्ष बबीता रानी, रश्मि गौड़, शशि चौधरी, सुनीता गुसाईं, और अन्य महिला सदस्यों ने भी अपनी आवाज उठाई।

इस विशाल रैली ने यह स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश के कर्मचारी और शिक्षक पुरानी पेंशन बहाली के लिए पूरी तरह से एकजुट हैं। रैली में शामिल लोगों का कहना है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं की जाती। उत्तराखंड के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से भी प्रतिनिधियों ने भाग लेकर इस मांग को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती दी।

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