Kashi Vishwanath Temple Uttarkashi- काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तरकाशी
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तरकाशी में सबसे पुराने और सबसे पवित्र मंदिरो में से एक है, जो भागीरथी नदी के तट पर स्थित है | मंदिर आसपास के पहाड़ों के साथ भगीरथी नदी का शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है | इसकी लोकप्रियता के कारण यह कई चार धाम यात्रा मार्गी का हिस्सा है, जो तीर्थयात्रियों को प्रसिद्ध चार धामों के साथ इस मंदिर की यात्रा करने में मदद करता है |
काशी विश्वनाथ मंदिर उत्तरकाशी का इतिहास
कशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और कहा जाता है कि इसे शुरू में भगवान परशुराम ने बनाया था और जिसे बाद में 1857 में सुदर्शन शाह की पत्नी महारानी श्रीमती खनेती द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था | वर्तमान मंदिर का निर्माण पहले से मौजूद प्राचीन वेदी पर पारंपरिक हिमालयी मंदिर वास्तुकला के साथ 1857 ई किया गया था |
किंवदंती है कि भगवान शिव इसे कलियुग के दूसरे निवास स्थान के रूप में मानते हैं। ऐसा मन जाता है कि जब काशी या वाराणसी पानी के नीचे डूब जाएगी तब भगवान काशी विश्वनाथ को उत्तरकाशी के इस मंदिर में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
ऐसा भी माना जाता है कि ऋषि मार्कंडेय को जब सोलहवां साल आरम्भ हुआ तो उनके माता-पिता उदास रहने लगे। पुत्र ने कई बार उनसे उनकी उदासी का कारण जानने का प्रयास किया। एक दिन महर्षि मार्कण्डेय ने बहुत जिद की तो महामुनि मृकण्डु (महर्षि के पिता) ने बताया कि भगवान शंकर ने तुम्हें मात्र सोलह वर्ष की आयु दी है और यह पूर्ण होने वाली है। इस कारण मुझे शोक हो रहा है।इतना सुन कर मार्कण्डेय ऋषि ने अपने पिता जी से कहा कि आप चिंता न करें मैं शंकर जी को मना लूँगा और अपनी मृत्यु को टाल दूंगा। इसके बाद वे घर से दूर एक जंगल में चले गए। वहां एक शिवलिंग स्थापना करके वे विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने लगे। निश्चित समय आने पर काल पहुंचा।
महर्षि ने उनसे यह कहते हुए कुछ समय माँगा कि अभी वह शंकर जी कि स्तुति कर रहे हैं। जब तक वह पूरी कर नही लेते तब तक प्रतीक्षा करें। काल ने ऐसा करने से मना कर दिया तो मार्कण्डेय ऋषि जी ने विरोध किया। काल ने जब उन्हें ग्रसना चाहा तो वे शिवलिंग से लिपट गए। इस सब के बीच भगवान् शिव वहां प्रकट हुए। उन्होंने काल की छाती में लात मारी। उसके बाद मृत्यु देवता शिवजी कि आज्ञा पाकर वहां से चले गए।
इसी कारण काशी विश्वनाथ मंदिर के शिवलिंग का कुछ झुकाव (अपनी धुरी पर एक तरफ से झुका हुआ) देखा जा सकता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के अंदर दृश्य
भगवान शिव यहाँ शिवलिंग के रूप में प्रगट हैं, जो पूरी मानवता के लिए उनके आशीर्वाद को वर्षा करते हुए गहन ध्यान में डूबे हुए हैं | यहां का शिवलिंग 56 सेमी ऊंचाई का है और दक्षिण की ओर झुकाव है |
गर्भगृह में, देवी पार्वती और भगवान गणेश भी हैं। नंदी मंदिर के बाहरी कक्ष में है। साक्षी गोपाल और ऋषि मार्कण्डेय की छवि को ध्यान में यहां दर्शाया गया है।
Published By: Ruchi Jugran