देहरादून – उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा संचालित “ऑपरेशन स्माइल” वर्ष 2024 में अब तक का सबसे सफल मानवीय अभियान बनकर सामने आया है। इस अभियान के अंतर्गत रिकॉर्ड 2509 गुमशुदा व्यक्तियों को तलाश कर उनके परिजनों से मिलाया गया, जिससे हजारों परिवारों में एक बार फिर मुस्कान लौट आई है।
पुलिस महानिदेशक श्री दीपम सेठ की अध्यक्षता में पुलिस मुख्यालय में आयोजित समीक्षा बैठक के दौरान बताया गया कि इस अभियान को दो चरणों में संचालित किया गया – पहले चरण में (1 मई से 30 जून) 1370 और दूसरे चरण (15 अक्टूबर से 15 दिसम्बर) में 1139 गुमशुदा व्यक्तियों को खोजा गया। इनमें 845 बच्चे, 955 महिलाएं और 709 पुरुष शामिल हैं।
डीजीपी सेठ ने कहा, “ऑपरेशन स्माइल केवल एक खोजी अभियान नहीं, बल्कि यह संवेदनशीलता और समर्पण का प्रतीक है। यह उन परिवारों के लिए आशा की किरण बना, जो वर्षों से अपने अपनों की प्रतीक्षा कर रहे थे।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस की प्राथमिकता केवल गुमशुदा लोगों की बरामदगी नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि वे सुरक्षित जीवन जी सकें।
तकनीक और समर्पण की मिसाल बनी पुलिस टीमें
इस अभियान के लिए प्रदेश के प्रमुख जनपदों – देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल में 4-4 टीमों सहित कुल 26 खोज टीमों का गठन किया गया। प्रत्येक टीम में महिला पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की गई तथा अभियोजन अधिकारियों ने विधिक सहायता और डीसीआरबी ने तकनीकी सहयोग प्रदान किया।
टीमों ने अन्य राज्यों में जाकर तलाश की, लावारिस शवों से मिलान कराया और परिजनों से संपर्क स्थापित कर महत्वपूर्ण सूचनाएं जुटाईं। कई मामलों में वर्षों से लापता लोगों को ढूंढ निकाला गया, जिससे परिवारों में भावनात्मक पुनर्मिलन हुआ।
समीक्षा बैठक में साझा हुए अनुभव
पुलिस उपाधीक्षक (अपराध) एवं नोडल अधिकारी श्री अभिनय चौधरी ने अभियान की विस्तृत जानकारी साझा की। बैठक में विभिन्न जनपदों के टीम प्रभारी, वरिष्ठ अधिकारी, अभियान में भागीदार संस्थाएं और गुमशुदा व्यक्तियों के परिजन शामिल हुए। डीजीपी सेठ ने बच्चों को उपहार भेंट किए और उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिसकर्मियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
परिजनों ने पुलिस के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि, “जिस उम्मीद को खो चुके थे, उत्तराखण्ड पुलिस ने उसे फिर से जीवित कर दिया।”
भविष्य में और प्रभावी होगा ऑपरेशन स्माइल
डीजीपी सेठ ने बताया कि ऑपरेशन स्माइल की शुरुआत वर्ष 2015 में हुई थी और तब से अब तक 7120 गुमशुदा व्यक्तियों को बरामद किया जा चुका है। आने वाले समय में इस अभियान को और प्रभावशाली बनाने के लिए नेटग्रिड जैसी एडवांस तकनीकों का उपयोग किया जाएगा और वर्षों से लंबित मामलों की दोबारा समीक्षा की जाएगी।
पुलिस की यह पहल न केवल गुमशुदा व्यक्तियों को उनके परिवारों से मिलाती है, बल्कि समाज में सुरक्षा, सेवा और संवेदनशीलता का संदेश भी देती है।